मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अबतक 10 लाख 48 हजार बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच 820 करोड़ रुपए की रिलीफ की राशि उनके खाते में भेजी जा चुकी है। शेष बचे परिवारों के खाते में जल्द से जल्द राशि भेज दी जाएगी। वह सिंचाई व बाढ़ प्रक्षेत्र की योजनाओं के उद्घाटन, लोकार्पण व शिलान्यास के लिए वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित समारोह को संबाेधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बिहार बड़ी आबादी वाला राज्य है, जिसकी जनसंख्या का घनत्व काफी अधिक है। यहां की 89 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है और यहां की 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य में कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की स्थिति बनी रहती है। ऐसी स्थिति में जल संसाधन विभाग की जल प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका है। बाढ़ से बिहार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है।
यहां की 68 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित है जो कि बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06 प्रतिशत है। पूरे देश का 400 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है और पूरे देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 17.2 प्रतिशत क्षेत्र बिहार का है। हम काम में विश्वास करते हैं। वर्ष 1990 से 2005 के बीच 2.65 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया, जबकि वर्ष 2006 से 2020 के बीच 4.06 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित की गई। साथ ही 17.25 लाख हेक्टेयर हासित सिंचाई क्षमता को फिर से स्थापित किया गया है।
किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं में नीतीश कुमार खुद लेते हैं रुचि: संजय
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि पिछले वर्षों में जल संसाधन विभाग की कार्यशैली में व्यापक परिवर्तन इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद रुचि ले रहे हैं। राज्य में 2005-06 से 2019-20 तक के पंद्रह वर्षों में 4.06 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ है, जबकि इससे पहले के पंद्रह वर्षों 1990-91 से 2004-05 में से दस वर्ष तक झारखंड के साथ होने के बावजूद, सिर्फ 2.65 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन हो पाया था। 2005 से पहले के 15 वर्षों की तुलना में पिछले 15 वर्षों में जल संसाधन विभाग की योजनाओं पर लगभग सात गुनी राशि खर्च हुई है।
राजद-कांग्रेस ने 15 साल में किसी सिंचाई योजना पर नहीं किया काम
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद-कांग्रेस के 15 वर्षों में एक भी सिंचाई योजना शुरू नहीं की गई। आजादी के 25 वर्षों में गंडक, कोसी आदि जिन योजनाओं का प्रारंभ किया गया था, अगले 40 साल में भी उन्हें पूरा नहीं किया गया। ऐसी आधी-अधूरी और वर्षों से लटकी पड़ी अनेक योजनाओं को पूरा करने का काम एनडीए की सरकार कर रही है।
उन्होंने बिहार की कोसी-मेची नदी योजना को केंद्र से राष्ट्रीय योजना घोषित करने की मांग की। कहा- उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम ने 1976 में दुर्गावती जलाशय योजना का शिलान्यास किया था। योजना अटकी रही। 35 वर्षों के बाद एनडीए की सरकार ने 1064.28 करोड़ की लागत से पुनः कार्यारंभ किया, जिसका 95% काम पूरा हो चुका है। शेष कार्य मार्च 2021 में पूरा हो जाएगा।
तीनों पूर्व जल संसाधन मंत्रियों को किया आमंत्रित: कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि इसमें नीतीश सरकार के तीनों पूर्व जल संसाधन मंत्रियों विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव व सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। सीएम ने पूर्व सिंचाई मंत्री स्व. रामाश्रय प्रसाद सिंह को भी याद किया और उनके कार्यों को अविस्मरणीय बताया।
आज बाढ़ और सिंचाई दोनों सेक्टर पर समान रूप से हो रहा काम: ललन सिंह
सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ और सिंचाई विंग को अलग करने का टास्क सौंपा और एक साल में हमने यह कर लिया। आज इसके बेहद सार्थक परिणाम दिख रहे हैं। हर सेक्टर पर बढ़िया काम हो रहा है। विभाग की जिन योजनाओं पर काम हो रहा है, उनमें बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई के साथ यातायात पर भी फोकस है। फ़ुलवारी से बारुण की सड़क लोगों के लिए काफी सुविधाजनक है। इसी तरह आज नीतीश सरकार कई दशकों की लंबित योजनाओं को शिद्दत के साथ पूरा कर रही है।
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