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Friday, August 21, 2020

अफसरों को ग्राउंड रियलिटी का पता नहीं, पिछड़ा शहर सुल्तानगंज में सजग रहे तो देश के टॉप-10 में मिली जगह

जिले में गंगा किनारे बसे तीन निकाय क्षेत्र में सबसे अधिक संसाधन स्मार्ट सिटी के पास है। लेकिन 16 करोड़ खर्च के बाद भी गंगा स्वच्छता रैंकिंग में सबसे अंतिम पायदान पर रहा। भागलपुर 40वें स्थान पर रहा। जबकि सुल्तानगंज 10 वें और कहलगांव 27 वें स्थान पर रहा। यानी ये दाेनों निकाय के कामकाज को सर्वे टीम ने भागलपुर से बेहतर माना। जिले के ही दो छोटे निकाय से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ा निगम अब कारणों की पड़ताल में जुटा हुआ है। निगम प्रशासन अब कमियाें की समीक्षा कर काेराेनाकाल खत्म हाेने के बाद बेहतर व्यवस्था करने का दावा कर रहा है। ताकि आगे इस तरह के सर्वेक्षण में रैंकिंग काे सुधारा जा सके। पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह सही तरीके से माॅनीटरिंग नहीं करना और निगम के शीर्ष अफसर का एक्टिव नहीं रहना है।
पिछड़ने की यह है वजह
भागलपुर में गंगा किनारे कूड़ा डंप करने की आदत के चलते भी रैंकिंग पिछड़ी। मुसहरी घाट के पास, चंपानाला के उस पार नदी किनारे, चंपानाला के मुख्यधारा के पास कचरा डंप करना, बूढ़ानाथ मंदिर के पास आसपास का कचरा गंगा किनारे डंप हाेना, माणिक सरकार घाट किनारे कचरा जमा किया जाता रहा। कुल मिलाकर शहरी क्षेत्र के गंगा घाट के पास कूड़ा डंप हाेता रहा। सफाई के लिए तैनात मजदूराें की भी निगरानी नहीं हाेने से गंदगी दूर नहीं हुई।

बजट ताे है पर बिना प्लानिंग राशि खर्च की जा रही
नगर की सरकार ने शहरवासियों के लिए वर्ष 2019-20 के लिए 450 करोड़ 6 लाख 84 हजार 778 रुपए का बजट बनाया। इसमें 16 कराेड़ से ज्यादा सिर्फ साफ-सफाई में दिया। जबकि 2017-18 में साफ-सफाई व नाला उड़ाही पर 15 करोड़ 28 लाख 47952 रुपए तय थे। इसमें करीब आठ करोड़ 95 लाख 68 हजार रुपए सफाई मद में सिर्फ मजदूरी में खर्च किए। इसके अलावा वाहनों के ईंधन में अलग से करीब सवा करोड़ रुपए खर्च हुए।

जानिए सिर्फ माॅनीटरिंग से रैंकिंग कैसे अच्छी आई

1. सुल्तानगंज- 2019 में तीन बार जुलाई के पूर्व और बाद में सर्वेक्षण टीम अायी, इसके अलावा दिसंबर में भी वह आयी। 25 वार्डाें में रहनेवाले 55 हजार की आबादी के लिए 221 मजदूराें व संसाधनाें पर हर महीने 15 लाख रुपए खर्च हुए। डाेर टू डाेर कचरा उठाव व गंगा घाटाें की साफ-सफाई की सही तरीके से माॅनीटरिंग हुई। इसमें टीम काे संसाधनाें की लिस्ट जाे दी गयी, उसके फील्ड मूवमेंट की चेकिंग हुई ताे सही निकला ताे रिजल्ट बेहतर आया।
2. कहलगांव - 2019 में दिल्ली से क्वालिटी कंट्राेल ऑफ इंडिया की टीम कहलगांव नगर पंचायत के लिए 17 वार्डाें में गोपनीय तरीके से स्वच्छता का जायजा लेकर लाैटी थी। 45 हजार की आबादी के लिए यहां 114 मजदूराें से सफाई कार्य कराए जाते हैं, इसमें हर महीने आठ लाख रुपए खर्च हाेते हैं। माॅनीटरिंग के लिए अफसर खुद ही फील्ड में निकलते रहे और कमियाें में सुधार किया।

मुंगेर ने भागलपुर काे ऐसे पीछे किया
मुंगेर के बबुआ घाट पर साफ-सफाई के अलावा सौंदर्यीकरण से लेकर राेशनी तक के बेहतर प्रबंध हुए। यह व्यवस्था अब भी लागू है। घाट किनारे तक गंगा का पानी भी स्वच्छ है। श्रद्धालुओं के आने के लिए प्रॉपर तरीके से घाट बनाए गए, ताकि फिसलन न हाे। सफाई के लिए भी अलग से मजदूर तैनात हैं और इसकी निगरानी अच्छे से हुई।

बोलीं मेयर, इस बार बेहतर रिजल्ट आएगा | रैंकिंग में पिछड़ने पर मेयर सीमा साह ने कहा कि इस बार बेहतर रिजल्ट अाएगा। इसकी पहले से तैयारी की जाएगी।
बोले डिप्टी मेयर, निराश हूं, हताश नहीं | वहीं डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने कहा कि ऐसे परिणाम हतोत्साहित करते हैं। मैं निराश हूं पर हताश नहीं। यह न आखिरी सर्वे है, न अंतिम परिणाम।

अधिकारी बोले, इस बार कमियों को दूर करेंगे :उप नगर आयुक्त सह पीआरओ सत्येंद्र प्रसाद वर्मा ने बताया कि इस बार उम्मीद करते हैं कि हमारे शहर का रिजल्ट बेहतर आएगा। जाे कमियां पहले रह गयी, उसे इस बार समय रहते दूर कर लिया जाएगा। डाेर टू डाेर कूड़ा उठाव काे लेकर भी काेराेनाकाल खत्म हाेने के बाद साै फीसदी लागू कर दिया जाएगा।



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भागलपुर में गंगा किनारे बसे मोहल्लों में अब भी नदी में ही कूड़ा-कचरा फेंका जा रहा है।


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