इंडोर एक्टिविटी और जिम खुलने के कारण मेरठ स्पोर्ट्स मार्केट में तेजी, डिमांड 30% तक पहुंची; जालंधर में 700 यूनिट शुरू हुईं - Dainik Darpan

Hot

Post Top Ad

Wednesday, August 26, 2020

इंडोर एक्टिविटी और जिम खुलने के कारण मेरठ स्पोर्ट्स मार्केट में तेजी, डिमांड 30% तक पहुंची; जालंधर में 700 यूनिट शुरू हुईं

(एकनाथ पाठक/शशांक सिंह) शतरंज के किंग और कैरम की क्वीन से देश का स्पोर्ट्स गुड्स मार्केट रिवाइव हुआ है। यानी चेस, कैरम, बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि इंडोर खेलों के इक्विपमेंट और जिम खुलने के बाद स्पोर्ट्स गुड्स मार्केट में चमक आई है। उप्र का मेरठ और पंजाब का जालंधर खेल का सामान बनाने में एशिया में टॉप पर है।

जालंधर में देश का 70% स्पोर्ट्स गुड्स बनता है जबकि मेरठ से 45% निर्यात होता है। लॉकडाउन के बाद मेरठ के मार्केट में तेजी आई है। डिमांड 30% तक पहुंच गई है। कंपनियों को इंडोर गेम्स के इक्विपमेंट के ऑर्डर ज्यादा मिले हैं। वहीं, जालंधर को 45% ऑर्डर मिलने लगे हैं।

वहां छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 700 स्पोर्ट्स यूनिट में प्रोडक्शन शुरू हो गया है। अभी देशभर में आउटडोर स्पोर्ट्स पर पाबंदी जारी है। इसलिए क्रिकेट का सबसे बड़ा मार्केट लॉक ही है।

दूसरे राज्यों में सामान नहीं भेजने से करीब 125 करोड़ का नुकसान हुआ

मेरठ में 150 फैक्टरी में काम शुरू, दूसरे राज्यों में नहीं जा रहा सामानमेरठ में 8 जून के बाद लॉकडाउन शिथिल हो गया था। इसलिए शहर और उसके बाहर की 150 से ज्यादा फैक्टरी में कामकाज शुरू हो गया है। यहां 3 महीने से सामान बनाने की प्रोसेस बंद थी। लेकिन अब यह धीरे-धीरे शुरू होने लगी है। हालांकि, दूसरे राज्यों में सामान नहीं भेजने से करीब 125 करोड़ का नुकसान हुआ है।

जालंधर स्पोर्ट्स इंडस्ट्री कुल 318 खेल सामग्रियां बनाती हैं

जालंधर में 40-60% मजदूर वापस लौटे, पर प्रोडक्शन पहले की तरह नहीं जालंधर में 700 इंडस्ट्री शुरू हो गई हैं। जो मजदूर घर लौटे गए थे, वे वापस आ रहे हैं। जालंधर में करीब 40 से 60 फीसदी मजदूर वापस लौट आए हैं। हालांकि प्रोडक्शन पहले की तरह नहीं हो रहा। जैसे अगर एक यूनिट 20 से 30 हजार रग्बी गेंद बनाती थी तो अभी वह हजार ही बना रही है। जालंधर स्पोर्ट्स इंडस्ट्री कुल 318 खेल सामग्रियां बनाती हैं।

देश के खेल सामान का 65% ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में निर्यात होता है मेरठ-जालंधर से सामान ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप के कई देशों में निर्यात होता है। मेरठ के खेल कारोबारियों का कहना है कि हम जितना सामान बनाते हैं उसका 45% निर्यात करते हैं। लेकिन फिलहाल इस पर रोक लगी है।

स्पोर्ट्सवियर में भी 500 करोड़ का घाटा हुआ

देश के खेल सामान का 60% निर्यात होता है। लेकिन निर्यात न होने से अकेले क्रिकेट इक्विपमेंट से ही करीब 1500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। स्पोर्ट्सवियर में भी 500 करोड़ का घाटा हुआ है।

देश में स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही है

फिलहाल डिमांड लाेकल लेवल पर हैसामान की डिमांड लोकल लेवल पर ही ज्यादा है। हालांकि सामान बनना शुरू हो गया है ताकि जब भी डिमांड आए तो सप्लाई हो सके। स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर एसोसिएशन के चेयरमैन अजय महाजन के अनुसार- देश में स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही है। इंडस्ट्री के जल्द पटरी पर लौटने की उम्मीद है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
जालंधर में 40-60% मजदूर वापस लौटे, पर प्रोडक्शन पहले की तरह नहीं  जालंधर में 700 इंडस्ट्री शुरू हो गई हैं। जो मजदूर घर लौटे गए थे, वे वापस आ रहे हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hA0Q33

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad