कमरा मोहल्ला इमामबाड़े के सामने का मैदान शुक्रवार सुबह 9 बजे उस समय रणक्षेत्र बन गया, जब सैयद जाफर इमाम का शव दफनाने के लिए उनके परिजन इमामबाड़े के गेट के सामने कब्र खोदने लगे। मौलाना सैयद काजिम शबीब और उनके समर्थक इसे रोकने के लिए पहुंच गए। इस पर विपक्षी गुट भी एक जुट हो गया। शव दफनाने को लेकर मौलाना समर्थक और विरोधी गुट के लोगों में गुत्थम-गुत्थी होने लगी। जमकर लात-घूंसे और डंडे से मारपीट होने लगी। रोड़ेबाजी भी हुई।
इसमें एक पक्ष के इरफान हैदर और जीशान हैदर समेत तीन लोग जख्मी हो गए। सूचना मिलने पर एसडीओ पूर्वी डॉ. कुंदन कुमार, नगर डीएसपी रामनरेश पासवान, नगर थानेदार ओमप्रकाश, काजी मोहम्मदपुर थानेदार मो. शुजाउद्दीन, मिठनपुरा थानेदार भागीरथ प्रसाद और क्यूआरटी प्रभारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। मारपीट कर रहे लोगों को शांत कराया गया। विवाद का हल निकालने के लिए प्रशासन ने दोनों पक्षों के लोगों के साथ बैठक की। दोनों पक्ष अपनी अपनी जिद पर अड़े रहे। मृतक के भाई नसर इमाम ने कहा कि वे इस इमामबाड़े का निर्माण करने वाले और जमीन दान करने वाले नवाब तकी खान के खानदान से हैं। उनके 13 पूर्वजों की कब्र इमामबाड़े के सामने मैदान में है। खानदान के सारे लोगाें के शव यहां दफन होते हैं। इसलिए शव तो इमामबाड़े के सामने ही दफन होगा।
अंतत: इमामबाड़े के सामने ही शव हुआ दफन, पहले एसडीओ ने दी थी लाठीचार्ज की चेतावनी
‘इमामबाड़ा है अकीदत और इबादत की जगह’
मौलाना ने कहा कि शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान है। या फिर कोई अपनी निजी जमीन में शव दफना सकता है। इमामबाड़ा इमाम के अकीदत और इबादत की जगह है। यहां शव नहीं दफनाने देंगे। अब तक यहां जो भी शव दफनाए गए, वे गलत तरीके से निजी संपत्ति मान कर दफनाए गए। दोनों पक्षों की जिद के कारण प्रशासनिक अधिकारी कोई हल नहीं निकाल पाए। तब एसडीओ पूर्वी ने इमामबाड़े और उसके मैदान को विवादित स्थल घोषित कर सील कर दिया। मौलाना पक्ष को इमामबाड़े से सख्ती से बाहर कर दूसरे पक्ष को शव गोला रोड कब्रिस्तान में दफनाने का निर्देश दिया गया। प्रशासन की कार्रवाई के बाद रात 10 बजे दोनों पक्ष मान गए और शव इमामबाड़े के सामने दफनाया गया। इसके बाद प्रशासन ने भी सील इमामबाड़े काे खोल दिया।
बोर्ड के पत्र जारी होने से पेंच फंसा, शव के साथ डटा रहा दूसरा पक्ष
इस बीच शिया वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने शव को इमामबाड़े के सामने दफन करने की स्वीकृति का पत्र जारी कर दिया। इसके बाद दूसरा पक्ष शव लेकर इमामबाड़ा मैदान में डट गया। लाेग कहने लगे बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। इसलिए इमामबाड़े के सामने ही शव दफन करेंगे। एसडीओ पूर्वी का कहना है कि विधि व्यवस्था के मद्देनजर शव इमामबाड़ा परिसर या मैदान में दफन नहीं होगा। इस तरह 12 घंटे से मैयत दफन होने के इंतजार में लोग अड़े हुए थे।
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