श्रीगजेन्द्रमोक्ष देवस्थानम मे चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के चौथे दिन बैकुण्ठ चतुर्दशी सह पूर्णिमा के दिन भगवान श्री गजेन्द्रमोक्ष का दिव्य औषधियों से सहस्त्रधारा पद्मधारा चक्रधाराओं से महाभिषेक हुआ। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि भीष्म पंचक के अन्तर्गत पांच दिनों में किसी भी दिन हरिहर क्षेत्र में स्नान करनेवाले को मुक्ति मिलती है।
“ गंगा गण्डकयोर्मध्ये क्षेत्र हरिहराभिधम् तत्र स्नात्वा च पीत्वा च पुनर्जन्म न विद्यते।” गंगा गण्डक के मध्य स्नान करनेवाले जलपान करने वाले को पुनर्जन्म नही होता। और विशेष यह है कि बैकुण्ठ चतुर्दशी को ब्रह्ममुहूर्त में चन्द्रमा से एक विशेष प्रकाश निकलता है जो स्नान करने वाले के ऊपर पड़ता है उससे विशेष उर्जा मिलती है और शरीर मे किसी प्रकार का गुप्तरोग नही होता है और अन्त में प्राणी मोक्ष को प्राप्त करता है।
रविवार को बैकुण्ठ चतुर्दशी को विष्णु मन्दिर में दीप दान करने से नारकीय यातनाओं को नही भोगना पड़ता है। दीप में ही देवत्व है। इसलिए आज लोग देवदिवाली भी मनाते है। अतः हरिहर क्षेत्र में स्नान के निमित्त आने वाले दीप प्रज्वलन अवश्य करते है। आज के दिन ही हरिहर मिलन हुआ था।
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