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Monday, November 30, 2020

आलू की उपज पर झुलसा रोग का बढ़ा खतरा, ठंड से बचाने के लिए किसानों को बरतनी चाहिए सावधानी

जिले में ठंड बढ़ने वाली है। इसको लेकर आलू फसल में होने वाली बीमारियों को लेकर किसान चिंतित है। आलू की फसल की देखरेख के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के एक डॉक्टर पीके द्विवेदी ने समस्याओं के समाधान पर बताया है। उन्होंने बताया कि आलू के अच्छे उत्पादन हेतु सम-सामयिक महत्व के कीट व व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण नितांत आवश्यक है।

आलू की फसल अगेती एवं पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। किसान विशेष सतर्कता बरतकर आलू की फसल को रोगों से बचा सकते हैं। अगेती झुलसा रोग का प्रकोप निचली पत्तियों से प्रारंभ होता है। जिसके फलस्वरूप गहरे भूरे, काले रंग के कुण्डाकार छल्लेनुमा धब्बे बनते हैं जो बाद में बीच में सूखकर टूट जाते हैं। प्रभावित निचली पत्तियां सूखकर गिर जाती हैं।

इन धब्बों के बीच में कुण्डाकार आकृति दिखाई देती है। पिछात झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारंभ होती है, जो तीव्र गति से फैलती है, पत्तियों पर भूरे काले जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद दिखाई देती है।

बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आद्र वातावरण एवं 10-20 सेल्सियस तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है और 2 से 4 दिनों के अन्दर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार पिछले दिनों से पड़ रही ठंड से आलू की फसल काफी प्रभावित हुई है। आलू की आगत व पिछात फसल झुलसा रोग से प्रभावित हो गयी है।

रोग के लक्षण दिखें तो करना चाहिए छिड़काव
आलू में ठंड का प्रकोप दिखाई देने पर दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए। ठंड व पाला से फसल को बचाने के लिए खेत में प्रति सप्ताह पटवन करते रहना चाहिए। रात के तापमान में लगातार गिरावट आई है। पाला का प्रकोप भी लगातार बढ़ रहा है। न्यूनतम तापमान 8 से 10 डिग्री रहता है।

ऐसी स्थित में पाला पड़ने पर आलू की फसल को काफी नुकसान होने की संभावना है। कृषि विज्ञान केंद्र आर के हेड डॉ पीके द्विवेदी ने बताया कि खेत के पश्चिमी किनारे पर आग सुलगाकर धुआं करते रहे। इससे आलू की फसल पर पाले का प्रभाव न पड़ने पाए।

झुलसा से बचाने के लिए मैंकोजेब 75 डब्लूपी 800 ग्राम, मेटालैक्जिल 8% + मैंनकोजेब 64% 800 से 1000 ग्राम, प्रोपीनेब 70% डब्लूपी 500 ग्राम, क्लोरीथेलोंनील 75% डब्लूपी 500 ग्राम अथवा आइप्रोडियोन 20% + कार्बांडाजिम 20% डब्लपी 200 ग्राम फफूंदनाशक दवा प्रति एकड़ 120 से 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।



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Potato yield increased risk of scorching disease, farmers should take precautions to avoid cold


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