सीबीआई ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराया गया था। उसने बालिका गृह में सरकारी अभिरक्षा में रहने वाली किशोरियों के साथ सुनियोजित रूप से यौन, शारीरिक, सामाजिक और मानसिक रूप से शोषण किया। सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया है।
सीबीआई ने ब्रजेश ठाकुर की अपील पर हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। इसमें ब्रजेश ठाकुर की सजा को बरकरार रखने का आग्रह भी किया है। बता दें कि ब्रजेश ठाकुर ने दिल्ली हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा था। सीबीआई ने हाईकोर्ट को बताया है कि “ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश को अपने फैसले में कई मामलों में दोषी पाया है। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है और जुर्माना लगाया है। जिसका भुगतान पीड़ित लड़कियों के पुनर्वास के लिए किया जाना है।
सीबीआई की ओर से पेश अधिवक्ता राजेश कुमार ने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में कल जवाब दाखिल किया गया है जो रिकॉर्ड पर नहीं आया है। उनके पेश होने के बाद, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने इस मामले पर बहस के लिए 15 सितंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। एडवोकेट प्रमोद कुमार दुबे दिल्ली हाईकोर्ट में आरोपी ब्रजेश ठाकुर की ओर से पेश हुए। दोषी के वकीलों के अनुसार, ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में “जल्दबाज़ी” से सुनवाई की थी। ठाकुर की अपील में कहा गया कि उसके द्वारा किए गए अनुरोधों को यांत्रिक तरीके से खारिज कर दिया गया, ताकि किसी तरह की सुनवाई पूरी न हो। जिस गति से मुकदमे की सुनवाई की गई वह सामान्य से परे था।
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