सदर अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजाें काे बेहतर इलाज की सुविधा देने के लिए छह वेंटिलेटर लगाए जा रहे हैं। ताकि मरीजाें काे इमरजेंसी पड़ने पर जान बचाने के लिए इन मशीनरी का इस्तेमाल किया जा सके। मशीनें ताे इंस्टाॅल हाे जाएंगी पर इसे चलाएगा काैन, यह अबतक तय ही नहीं हाे सका है। क्याेंकि अस्पताल में मेडिसिन के एक भी डाॅक्टर ही नहीं है और न ही विभाग ने ऐसे किसी डाॅक्टर की तैनाती की।
मेडिसिन के डाॅक्टराें की डिमांड के बदले सरकार ने एक ओर्थाेपेडिक, एक ईएनटी व एक सर्जन काे भेज दिया पर वेंटिलेटर के लिए जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत हाेगी, वह मेडिसिन विभाग है। इसके एक भी डाॅक्टर दिए ही नहीं, अब अस्पताल में माैजूद दाे एनेस्थेटिक के भराेसे ही इसे शुरू करने की तैयारी की जा रही है। जबकि ये दाेनाें पहले से इमरजेंसी सर्जरी में ऑनकाॅल रहते हैं।
आठ दिन में पाइपलाइन तैयार
अस्पताल में दाे वेंटिलेटर काे आए महीने भर हाे चुके हैं, जबकि चार और वेंटिलेटर दस दिन पहले पटना से भेजे गए हैं। अब विभाग ऑक्सीजन पाइपलाइन का काम करवा रहा है, ताकि सभी छह बेड पर 24 घंटे ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। वेंटिलेटर के मरीजाें के लिए सेकेंड भर के लिए भी ऑक्सीजन रूकने पर उनकी जान जा सकती है। बताया जाता है कि माह के आखिर तक यह कार्य पूरा हाेगा।
कोविड केयर सेंटर में काेराेना मरीज काे नहीं है सुविधा
काेराेना मरीजाें के इलाज के लिए टीटीसी स्थित काेविड केयर सेंटर में 40 बेड ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ लगाए गए हैं पर वहां मरीज इलाज के लिए भेजे ही नहीं जाते हैं। जिन मरीजाें में किसी तरह के लक्षण नहीं हैं और ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहता है, उसे ही रखा जाता है। ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीज काे तत्काल मायागंज अस्पताल भेज दिया जाता है। ऐसे में काेराेना की बीमारी के दाैरान वेंटिलेटर की सबसे ज्यादा जरूरत इसी सेंटर काे थी। लेकिन डेडिकेटेड काेविड केयर सेंटर नहीं हाेने की वजह से इसे सदर अस्पताल में लगवाया जा रहा है।
इन मरीजाें काे हाेगा लाभ
सदर अस्पताल में गर्भवतियाें के सिजेरियन या सामान्य प्रसव के बाद कई बार हालत बिगड़ जाते हैं। ऐसे में इमरजेंसी हाेने पर मरीजाें की जान वेंटिलेटर पर डाल कर बचायी जा सकती है। हर महीने यहां करीब तीन साै महिलाओं की सामान्य व सर्जरी से डिलीवरी करायी जाती है, इसमें खून की कमी वाले 60 प्रतिशत महिलाएं हाेती है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हाेती है।
यह है दिक्कत| वेंटिलेटर पर मरीज काे रखने के लिए एनेस्थेटिक या टेक्नीशियन की जरूरत हाेगी, एनेस्थेटिक हैं पर टेक्नीशियन नहीं है। 24 घंटे के लिए हर दिन तीन एनेस्थेटिक चाहिए पर दाे ही हैं। वेंटिलेटर की जिन मरीज काे जरूरत हाेती है, वह आपात स्थिति हाेती है, जबतक ऑन काॅल बुलाए जाएंगे एनेस्थेटिक, मरीज की माैत भी हाे सकती है।
हमारे पास मेडिसिन के एक भी डाॅक्टर नहीं हैं, विभाग ने हड्डी, ईएनटी व सर्जन के एक-एक डाॅक्टर भेजे हैं। अगले महीने से वेंटिलेटर की सुविधा चालू हाे जाएगी, सरकार से डाॅक्टर की मांग की गयी है। अभी ऑक्सीजन पाइपलाइन का काम करवा रहे हैं, उम्मीद करते हैं कि मशीन इंस्टाॅल हाेने के बाद डाॅक्टर की तैनाती भी हाे जाएगी। -डाॅ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3lcTNzo
No comments:
Post a Comment