भागलपुर ने 31 साल में शांति और सद्भाव की मिसाल कायम की है। यूं तो हर त्योहार में सद्भाव की झलक मिलती रही है, लेकिन इनमें काली पूजा बेहद खास है। मां काली की पूजा और विसर्जन जुलूस के लिए प्रशासन व्यवस्था बनाता है तो मुस्लिम समाज की भागीदारी सद्भाव बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
सद्भाव की शृंखला में समाजजन 31 साल से मेलजोल की गांठ को मजबूती दे रहा है। इस बार भी प्रशासन ने विसर्जन जुलूस की तैयारियां पूरी कर ली हैं, दूसरी ओर मुस्लिम समाज ने भी शांति-सद्भाव की अपील की है। समाजजनों का कहन है, यह शांति की मिसाल हमेशा कायम रहेगी।
जुलूस में शामिल होकर हर साल स्टेशन चौक तक पहुंचते हैं समाजजन
1970 से बह रही सद्भाव की बयार
हबीबपुर माेमिन टाेला के हाजी इलियास अंसारी, जब्बारचक के डॉ. सलाहउद्दीन अहसन और चमेलीचक के शहाबुद्दीन वर्दी खान लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। हबीबपुर मोमिन टोला के सदर हाजी इलियास अंसारी 1970 से विसर्जन में सहयोग कर रहे हैं। जबकि एमएम डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सलाहउद्दीन अहसन और एमएम इंटर कॉलेज के सचिव शहाबुद्दीन वर्दी खान 31 साल से सहयोग कर रहे हैं। बता दें कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सलाहउद्दीन अहसन और शहाबुद्दीन खान को 17 दिसंबर 2004 को डीजीपी ने सोनपुर मेला में सम्मानित किया था।
विसर्जन और ईद एक ही दिन था, ईद भी मनाई, विसर्जन जुलूस भी निकला
डॉ. सलाहउद्दीन ने बताया, विसर्जन में तातारपुर चौक पर शांति बनाने में कई लोगों का सहयोग रहता है। कुछ साल पहले जब काली विसर्जन के दिन ईद का चांद निकला था, तो तातारपुर में सैंकड़ों लोग उमड़ पड़े थे। मां काली का विसर्जन जुलूस निकलना था, तब तब सड़क के दोनों ओर बांस की बैरिकेडिंग कर मूर्ति निकाली थी।
हर समुदाय जाता मूर्तियों के साथ
वर्दी खान ने कहा, विसर्जन पर तातारपुर मस्जिद के पास शिविर लगता है। यहां दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैंं। मूर्तियों के साथ स्टेशन तक वे साथ जाते हैं।
31 साल से लगातार बढ़ रहा सद्भाव
हाजी इलियास ने बताया, 1989 के दंगे में काली प्रतिमा बुढ़िया काली मंदिर में थीं। तब मैं सदर था। मूर्ति के लिए 8 लाेगाें की टीम बनाई थी। यह सद्भाव हर साल बढ़ रहा है।
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